डीजल का पेड़: जेट्रोफा की खेती से बनाएं बंपर कमाई, जानें कैसे शुरू करें यह बिजनेस

अगर आप पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं और कोई मुनाफेदार बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो जेट्रोफा (Jatropha) यानी डीजल का पौधा आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकता है। जेट्रोफा के बीजों से बायोडीजल बनाया जाता है, जो पेट्रोल-डीजल का किफायती विकल्प बनकर उभरा है। इसकी खेती से किसान न केवल मोटी कमाई कर सकते हैं, बल्कि पारंपरिक खेती के मुकाबले यह ज्यादा लाभदायक साबित हो सकती है।
क्या है जेट्रोफा या डीजल का पौधा?
जेट्रोफा एक झाड़ीनुमा पौधा है, जिसे रतनजोत भी कहा जाता है। यह पौधा अर्धशुष्क और बंजर भूमि पर आसानी से उगाया जा सकता है। इसके बीजों में 25-30% तक तेल मौजूद होता है, जिसका उपयोग बायोडीजल बनाने में किया जाता है। बायोडीजल का इस्तेमाल वाहनों को चलाने के लिए किया जाता है और इसके अवशेष से बिजली भी पैदा की जा सकती है।
इस पौधे की खेती की खास बात यह है कि इसे साल में कभी भी उगाया जा सकता है। एक बार पौधा तैयार हो जाने के बाद 5 साल तक यह बीज देता है। इसके लिए खेत में ज्यादा पानी या जुताई की जरूरत नहीं होती। केवल शुरुआती 4-6 महीने तक देखभाल करनी होती है।
कैसे करें जेट्रोफा की खेती?
जेट्रोफा के पौधे को सीधे खेत में नहीं लगाया जाता। सबसे पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है। नर्सरी में उगाए गए पौधों को 6-8 हफ्तों में खेत में रोपा जाता है। यह सदाबहार झाड़ी है और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
इसके पौधे की लंबाई 6-10 फीट तक हो सकती है। एक हैक्टेयर भूमि पर 2000-2500 पौधे लगाए जा सकते हैं। औसतन, प्रति हैक्टेयर 8-10 क्विंटल बीज का उत्पादन होता है।
जेट्रोफा के बीज से डीजल कैसे बनता है?
जेट्रोफा के बीजों से डीजल निकालने की प्रक्रिया सरल है। सबसे पहले बीजों को पौधों से अलग किया जाता है और फिर इन्हें साफ किया जाता है। इसके बाद बीजों को तेल निकालने वाली मशीन में डाला जाता है। इस प्रक्रिया से तेल प्राप्त होता है, जिसे बायोडीजल बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। यह प्रक्रिया सरसों या तिल से तेल निकालने जैसी ही होती है।
बाजार में बढ़ रही है जेट्रोफा की मांग
डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों और बायोडीजल की बढ़ती लोकप्रियता के कारण जेट्रोफा की मांग तेजी से बढ़ी है। भारत सरकार भी किसानों को जेट्रोफा की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके बीजों को बाजार में 1800-2500 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचा जा सकता है, जबकि सरकार इसे 12 रुपये प्रति किलो के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदती है।
कम लागत में ज्यादा मुनाफा
जेट्रोफा की खेती बंजर भूमि पर भी की जा सकती है, जिससे जमीन का अधिकतम उपयोग संभव है। इसकी देखभाल पर ज्यादा खर्च नहीं आता और एक बार फसल तैयार हो जाने के बाद 5 साल तक मुनाफा मिलता है। पारंपरिक फसलों की तुलना में जेट्रोफा से होने वाली कमाई कहीं ज्यादा होती है।
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